Jump to content

Baje Bhagat: Difference between revisions

From Wikipedia, the free encyclopedia
Content deleted Content added
Add ref, {{reflist}}
Removed link rot status
Tags: Visual edit Mobile edit Mobile web edit
 
(59 intermediate revisions by 32 users not shown)
Line 1: Line 1:
{{Use Indian English|date=February 2018}}
'''Baje Bhagat''' was an Indian [[wikt:litterateur|litterateur]] and artist. In 2013 [[Bhupinder Singh Hooda]], the then [[List of Chief Ministers of Haryana|Chief Minister]] of [[Haryana]], established a prize to commemorate his works.<ref name="The Tribune (Chandigarh) - 17 June 2013 - Hooda announces award in memory of folk litterateur">{{cite news|url=http://www.tribuneindia.com/2013/20130618/haryana.htm#7|title=Hooda announces award in memory of folk litterateur|date=17 June 2013|work=[[The Tribune (Chandigarh)]]|accessdate=16 February 2015}}</ref>
{{Use dmy dates|date=February 2018}}
{{cleanup|reason=needs final cleanup|date=February 2015}}
'''Baje Bhagat''' (16 July 1898 – 26 February 1939) was an Indian [[wikt:litterateur|litterateur]], [[poet]], ragni writer, [[saang]] artist and Haryanvi cultural show artist. He was born in Sisana, Rohtak District, Punjab(Now Sonipat District, Haryana).


==Biography==
Baje Bhagat was a thinker, poet, ragni writer, sawng artist and haryanvi cultural show artist. He was born on 16 July, 1898 in Sisana Village of Sonipat District of Haryana State. He was remained one of the greatest haryanvi artist of static, clear message giver, natural singer of haryanvi. He wrote almost 15 to 20 writings which gave him unusual recognition in haryana in early 1920. In his honour, The Govt. of Haryana has instituted an award for the haryanvi raagni singers in June, 2013.
His writings include:-
या लगै भाणजी तेरी / बाजे भगत
लाड करण लगी मात, पूत की कौळी भरकै / बाजे भगत
साची बात कहण म्हं सखी होया करै तकरार / बाजे भगत
धन माया के बारे म्हं किसे बिरले तै दिल डाट्या जा सै / बाजे भगत
बिपता के म्हं फिरूं झाड़ती घर-घर के जाळे / बाजे भगत
मैं निर्धन कंगाल आदमी तूं राजा की जाइ / बाजे भगत
बेरा ना कद दर्शन होंगे पिया मिलन की लागरही आस / बाजे भगत


Bhagat was born on 16 July 1898 in Sisana Village of [[Sonipat District]] of the erstwhile [[Punjab Province (British India)|Punjab Province]] (Now in [[Haryana]]). He wrote almost 15 to 20 works that gave him unusual recognition in [[Haryana]] in the early 1920s. He was stabbed to death while sleeping outdoors


==Writings==
For the competition, comparisons books have been written Braham Jyani Kaun (Baje Bhagat, Pandit Lakhmi Chand Ya Pandit Lakhmi Chand
Braham Jyani Kaun (Baje Bhagat, Pandit Lakhmi Chand Ya Pandit Lakhmi Chand
Published by SUKRITI PRAKASHAN KAITHAL,HARYANA (INDIA)
10 MARCH 2007
ISBN: 81-88796-11-5
With his interest in ragni haryanvi literature has grown to modern ages.There has not been a proper documentation of Haryanvi literature since most Haryanvi literary figures write in Standard Hindi, but There has been its long oral tradition in which Tau Sangi, Heeradas Udasi, Deepchand, Debising, Pt. Lakhami Chand, Baje Bhagat, Dhanpat, Mange Ram, Shriram Sharma, Rammehar, Taradatt vilxan and Bharatbhusan Sanghival have made a major contribution to Haryanvi literature. The works of Pt. Lakhami Chand, published by Haryana Sahitya Academy are supreme. There are a lot of folk songs available. Haryanvi has a very rich culture in terms of folk songs that are called Raginis and folk dramas, known by the name of Saang. It is a very humorous tongue and the people of Haryana usually joke a lot and get misunderstood by people from other parts of India in this process. Surender Sharma is a very famous satirist, who initially told all his jokes in pure Haryanvi and most of his jokes have their origin in the rural culture of Haryana.


Bhagat's writings include:-
*Yaa Lage Bhaanji teri (या लगै भाणजी तेरी / बाजे भगत)
*Laad karan lagi maat (लाड करण लगी मात, पूत की कौळी भरकै / बाजे भगत)
*saachi baat kahan menh (साची बात कहण म्हं सखी होया करै तकरार / बाजे भगत)
*Dhan maya ke baare menh (धन माया के बारे म्हं किसे बिरले तै दिल डाट्या जा सै / बाजे भगत)
*Bipta ke menh firun jhaadti (बिपता के म्हं फिरूं झाड़ती घर-घर के जाळे / बाजे भगत)
*Main nirdhan kangaal aadmi (मैं निर्धन कंगाल आदमी तूं राजा की जाइ / बाजे भगत)
*Bera na kad darshan honge (बेरा ना कद दर्शन होंगे पिया मिलन की लागरही आस / बाजे भगत)


बाजे राम का राजबाला अजीत सिंह


करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात
He died on 26th Feb. 1939.


राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ – टेक
http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%87_%E0%A4%AD%E0%A4%97%E0%A4%A4

http://www.tribuneindia.com/2013/20130618/haryana.htm
साथ मेरी धींगताणा बण रहया सै
http://www.yasni.info/ext.php?url=http%3A%2F%2Fthefinancialworld.com%2Fnewsdetails.aspx%3Fnewsid%3D103929%26amp%3Bpageid%3D5&name=Baje+Bhagat&showads=1&lc=en-us&lg=en&rg=us&rip=in

http://www.yasni.info/ext.php?url=http%3A%2F%2Fwww.indiaeveryday.in%2Fnews-haryana-govt-to-institute-new-award-after-folk-litterateur-1001-5539074.htm&name=Baje+Bhagat&showads=1&lc=en-us&lg=en&rg=us&rip=in
इसा के तू महाराणा बण रहया सै

न्यू बोल्या घणा के स्याणा बण रहया सै

न्यू तै बीगड़ ज्यागी बात

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

करी बाप मेरे नै बेईमानी

हो अपनी खो बैठा ज़िंदगानी

न्यू बोल्या समय होया करे आणी जाणी

या माणस के ना हाथ

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

भगत बाजे के लगी कटारी

न्यू बोल्या मात छूटगी म्हारी

न्यू बोल्या एक लालाजी ने बोली मारी

जला पड़ा सै गात

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

बाजे राम का नवरतन

रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई

हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई – टेक

जेठ लगूँ और बड्डा कायदा न हक ठट्ठे हाँसी का

इसी इसी मन में आवे करूँ दरसन सोला रासी का

या परद्याँ में रहणे आली इका बाणा जणू हो दासी का

इसी परी ने देख देख मन डोले संत सन्यासी का

चाँद खिल्या पूरणमासी का इसी सुरत निमाणी दीख गई

रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई

हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई

मैं न्यूं बूझूंगा सेठाणी के फायदा विपदा ओटे में

मेरे चाल के मौज करे न पर्दे जाली कोठे में

सोने के जेवर घडवा द्यून तीअल चिपा ले गोटे में

जीब सिंगर के चलेगी हो तकरार बड़े छोटे में

नंदस्वरूपक्यान की बहू टोटे में अपनी हाणी दीख गई

रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई

हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई

लैला ऊपर मजनूँ ने लई डाभ जमा तन सारे में

शीरीन कारण फरहाद ने अपनी जान फंसा ली धारे में

हीर के कारण राँझे की भी बजी बंसरी ढ़ारे में

चंदरकिरण पे मदनसेन के बेड़ी घली चौबारे में

मन्ने भी इके बारे में तकलीफ उठाणी दीख गई

रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई

हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई

हरदेवा सतगुरु की थी बाणी बड़ी सगत की

उनकी सेवा करके मने पदवी मिली भगत की

बाजे भगत सेठाणी गेलयां करनी कार खगत की

ऊपर कमरे में चढ़ग्या ना सोधी करी अगत की

अपना मरण जगत की हाँसी वही कहाणी दीख गई

रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई

हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई

बाजे भगत का एक भजन

शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी

सत्यकाम विष्णुजी ने ब्राह्मण बण के गोद लिया

हरी ने अपना भगत पिछाण के कर्या आण मोक्ष बेदागी

हिरणाकुश के बेटा हुया जिसका नाम प्रह्लाद

झूठा तो प्रपंच त्याग्या ॐ नाम कर लिया याद

अहंकारी था वो राजा जिने बेटे ते किया विवाद

गिरवर से गिराय दिया अति दुख दिया भारी

खम्ब सेती बँधवा के ने सिर काटण की कर दी तयारी

अगनी में ना आंच लागि जल के मरगी हत्यारी

हो घमंड घणा था अज्ञान के दिया मार देर ना लागी

शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी

उस हरिचन्द ने काया देदी राजपाट सारा तज के

बेटे के सिर आरा धर दिया ज्ञान हुआ जब मोरध्वज के

जल में डूबते हरि ने बचाए पास पहोञ्चगे थे वे गज के

दधीचि ऋषि हुए आवागमन मेट गए

भील्ल्णी के बेर खाये वन में जाके भेंट गए

नरसी जी की लाज राखी आप बण के सेठ गए

हरि ने दर्शन दे दिये आण के घड़ी भात भरण की आगी

शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी

नामदेव पीपा ध्यानु कबीरा की राखी जग्ग

जनकपुरी में धनुष तोड्या इंदर की मिटाई भग्ग

वेदों के माँ गाया गया नाम तेरा सर्वग्ज्ञ

संत छाजुलाल दादा दीपचन्द कह ग्या मेरा

हरदेवा पे कृपा कर दी जो था स्वामी दास तेरा

बजे भगत भी डर के रहे जंगल बीच होगा डेरा

देंगे बीच फूँक शमशान के उड़ धूल पवन मिल ज्यागी

शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी

==See also==
* [[Dayachand Mayna]]
* [[Lakhmi Chand]]
* [[Music of Haryana]]
* [[Haryanvi cinema]]
* [[List of Haryanvi-language films]]


==References==
==References==
{{reflist}}
{{reflist}}
<ref name="youtube.com">{{cite AV media| url-status = live| archive-url = https://ghostarchive.org/varchive/youtube/20211209/dO3SfoyALkY| archive-date = 2021-12-09| url = https://www.youtube.com/watch?v=dO3SfoyALkY| title = Haryanvi Ragni - BAJE BHAGAT KEE RAGNI Satte Farmana हरियाणवी बाजे भगत की रागनी : गायक सत्ते फरमाना | website=[[YouTube]]}}{{cbignore}}</ref>
<ref>{{cite web | url=http://www.yasni.info/ext.php?url=http%3A%2F%2Fwww.writers.net%2Fwriters%2Fbooks%2F40413&name=Baje+Bhagat&showads=1&lc=en-us&lg=en&rg=us&rip=in | title=Sorry!! }}</ref>
<ref>{{Cite web|url=http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%87_%E0%A4%AD%E0%A4%97%E0%A4%A4|title=बाजे भगत - कविता कोश|website=kavitakosh.org}}</ref>

{{DEFAULTSORT:Bhagat, Baje}}
[[Category:Poets from Punjab, India]]
[[Category:People from Sonipat district]]
[[Category:1898 births]]
[[Category:1939 deaths]]
[[Category:Folk artists from Haryana]]
[[Category:Poets from Haryana]]
[[Category:Deaths by stabbing in India]]

Latest revision as of 23:07, 1 June 2024

Baje Bhagat (16 July 1898 – 26 February 1939) was an Indian litterateur, poet, ragni writer, saang artist and Haryanvi cultural show artist. He was born in Sisana, Rohtak District, Punjab(Now Sonipat District, Haryana).

Biography

[edit]

Bhagat was born on 16 July 1898 in Sisana Village of Sonipat District of the erstwhile Punjab Province (Now in Haryana). He wrote almost 15 to 20 works that gave him unusual recognition in Haryana in the early 1920s. He was stabbed to death while sleeping outdoors

Writings

[edit]

Bhagat's writings include:-

  • Yaa Lage Bhaanji teri (या लगै भाणजी तेरी / बाजे भगत)
  • Laad karan lagi maat (लाड करण लगी मात, पूत की कौळी भरकै / बाजे भगत)
  • saachi baat kahan menh (साची बात कहण म्हं सखी होया करै तकरार / बाजे भगत)
  • Dhan maya ke baare menh (धन माया के बारे म्हं किसे बिरले तै दिल डाट्या जा सै / बाजे भगत)
  • Bipta ke menh firun jhaadti (बिपता के म्हं फिरूं झाड़ती घर-घर के जाळे / बाजे भगत)
  • Main nirdhan kangaal aadmi (मैं निर्धन कंगाल आदमी तूं राजा की जाइ / बाजे भगत)
  • Bera na kad darshan honge (बेरा ना कद दर्शन होंगे पिया मिलन की लागरही आस / बाजे भगत)

बाजे राम का राजबाला अजीत सिंह

करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ – टेक

साथ मेरी धींगताणा बण रहया सै

इसा के तू महाराणा बण रहया सै

न्यू बोल्या घणा के स्याणा बण रहया सै

न्यू तै बीगड़ ज्यागी बात

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

करी बाप मेरे नै बेईमानी

हो अपनी खो बैठा ज़िंदगानी

न्यू बोल्या समय होया करे आणी जाणी

या माणस के ना हाथ

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

भगत बाजे के लगी कटारी

न्यू बोल्या मात छूटगी म्हारी

न्यू बोल्या एक लालाजी ने बोली मारी

जला पड़ा सै गात

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात

राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ

बाजे राम का नवरतन

रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई

हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई – टेक

जेठ लगूँ और बड्डा कायदा न हक ठट्ठे हाँसी का

इसी इसी मन में आवे करूँ दरसन सोला रासी का

या परद्याँ में रहणे आली इका बाणा जणू हो दासी का

इसी परी ने देख देख मन डोले संत सन्यासी का

चाँद खिल्या पूरणमासी का इसी सुरत निमाणी दीख गई

रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई

हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई

मैं न्यूं बूझूंगा सेठाणी के फायदा विपदा ओटे में

मेरे चाल के मौज करे न पर्दे जाली कोठे में

सोने के जेवर घडवा द्यून तीअल चिपा ले गोटे में

जीब सिंगर के चलेगी हो तकरार बड़े छोटे में

नंदस्वरूपक्यान की बहू टोटे में अपनी हाणी दीख गई

रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई

हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई

लैला ऊपर मजनूँ ने लई डाभ जमा तन सारे में

शीरीन कारण फरहाद ने अपनी जान फंसा ली धारे में

हीर के कारण राँझे की भी बजी बंसरी ढ़ारे में

चंदरकिरण पे मदनसेन के बेड़ी घली चौबारे में

मन्ने भी इके बारे में तकलीफ उठाणी दीख गई

रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई

हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई

हरदेवा सतगुरु की थी बाणी बड़ी सगत की

उनकी सेवा करके मने पदवी मिली भगत की

बाजे भगत सेठाणी गेलयां करनी कार खगत की

ऊपर कमरे में चढ़ग्या ना सोधी करी अगत की

अपना मरण जगत की हाँसी वही कहाणी दीख गई

रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई

हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई

बाजे भगत का एक भजन

शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी

सत्यकाम विष्णुजी ने ब्राह्मण बण के गोद लिया

हरी ने अपना भगत पिछाण के कर्या आण मोक्ष बेदागी

हिरणाकुश के बेटा हुया जिसका नाम प्रह्लाद

झूठा तो प्रपंच त्याग्या ॐ नाम कर लिया याद

अहंकारी था वो राजा जिने बेटे ते किया विवाद

गिरवर से गिराय दिया अति दुख दिया भारी

खम्ब सेती बँधवा के ने सिर काटण की कर दी तयारी

अगनी में ना आंच लागि जल के मरगी हत्यारी

हो घमंड घणा था अज्ञान के दिया मार देर ना लागी

शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी

उस हरिचन्द ने काया देदी राजपाट सारा तज के

बेटे के सिर आरा धर दिया ज्ञान हुआ जब मोरध्वज के

जल में डूबते हरि ने बचाए पास पहोञ्चगे थे वे गज के

दधीचि ऋषि हुए आवागमन मेट गए

भील्ल्णी के बेर खाये वन में जाके भेंट गए

नरसी जी की लाज राखी आप बण के सेठ गए

हरि ने दर्शन दे दिये आण के घड़ी भात भरण की आगी

शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी

नामदेव पीपा ध्यानु कबीरा की राखी जग्ग

जनकपुरी में धनुष तोड्या इंदर की मिटाई भग्ग

वेदों के माँ गाया गया नाम तेरा सर्वग्ज्ञ

संत छाजुलाल दादा दीपचन्द कह ग्या मेरा

हरदेवा पे कृपा कर दी जो था स्वामी दास तेरा

बजे भगत भी डर के रहे जंगल बीच होगा डेरा

देंगे बीच फूँक शमशान के उड़ धूल पवन मिल ज्यागी

शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी

See also

[edit]

References

[edit]

[1] [2] [3]

  1. ^ Haryanvi Ragni - BAJE BHAGAT KEE RAGNI Satte Farmana हरियाणवी बाजे भगत की रागनी : गायक सत्ते फरमाना. YouTube. Archived from the original on 9 December 2021.
  2. ^ "Sorry!!".
  3. ^ "बाजे भगत - कविता कोश". kavitakosh.org.