Malwa: Difference between revisions
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की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। |
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{{for|the region of the Punjab|Malwa (Punjab)}} |
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| colspan="2" style="margin-left: inherit; background:#999999; color:#ffffff;text-align:center; font-size: medium;" |'''Malwa''' |
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[[Image:Malwa_India_1823.png|290px|Malwa (highlighted) as per 1823 dipiction of India by [[Fielding Lucas Jr.]].]]</div> |
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| '''[[Demographics of India|Largest city]]''' |
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| [[Indore]] <br> [http://kvaleberg.com/extensions/mapsources/index.php?params=22.42_N_75.54_E_type:city 22.42° N<BR>75.54° E ] |
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| '''[[Official language|Main languages]]''' |
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| [[Malvi]], [[Hindi]] |
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| '''[[ List of states of India by area|Area]]''' |
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| [[1_E10_m²|81,767 km²]] |
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| style="white-space: nowrap;" | '''[[List of states of India by population|Population]]''' (2001) |
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| 18,889,000 |
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| style="white-space: nowrap;" | '''[[Population density|Density]]''' |
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| 231/km² |
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| style="white-space: nowrap;" | '''[[Birth rate]]''' (2001) |
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| 31.6 |
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| style="white-space: nowrap;" | '''[[Death rate]]''' (2001) |
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| 10.3 |
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| style="white-space: nowrap;" | '''[[Infant mortality rate]]''' (2001) |
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| 93.8 |
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'''Malwa''' ([[Malvi]]:''माळवा'') is a [[list of regions in India|region]] in western [[India]] occupying a [[plateau]] of volcanic origin in the western part of [[Madhya Pradesh]] [[states and territories of India|state]]. This region had been a separate political unit from the time of the [[Aryan]] tribe of ''Malavas'' until 1947, when the British [[Malwa Agency]] was merged into [[Madhya Bharat]]. Although political borders have fluctuated throughout history, the region has developed its own distinct culture and language. The plateau that forms a large part of the region is named the '''Malwa Plateau''', after the region. The average elevation of the Malwa plateau is 500 metres, and the landscape generally slopes towards the north. Most of the region is drained by the [[Chambal River]] and its tributaries; the western part is drained by the upper reaches of the [[Mahi River]]. [[Ujjain]] was the political, economic, and cultural capital of the region in ancient times, and [[Indore]] is presently the largest city and commercial centre.<!--We have ancient capital vs. modern large city: what is the modern capital? RE: There is no official capital, since it has ceased to be an administrative unit--> Overall, [[agriculture]] is the main occupation of the people of Malwa. The region has been<!--this implies that it still is; please change if not. RE: It still is.--> one of the important producers of [[opium]] in the world. Cotton and soybeans are other important cash crops, and textiles are a major industry. |
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The region includes the Madhya Pradesh districts of [[Dewas District|Dewas]], [[Dhar District|Dhar]], [[Indore District|Indore]], [[Jhabua District|Jhabua]], [[Mandsaur District|Mandsaur]], [[Neemuch District|Neemuch]], [[Rajgarh District|Rajgarh]], [[Ratlam District|Ratlam]], [[Shajapur District|Shajapur]], [[Ujjain District|Ujjain]], and parts of [[Guna District|Guna]] and [[Sehore District|Sehore]], and the Rajasthan districts of [[Jhalawar]] and parts of [[Banswara]] and [[Chittorgarh District|Chittorgarh]]. Politically and administratively, the definition of Malwa is sometimes extended to include the [[Nimar]] region south of the Vindhyas. Geologically, the Malwa Plateau generally refers to the volcanic upland south of the [[Vindhya]]s, which includes the Malwa region and extends east to include the upper basin of the [[Betwa]] and the headwaters of the [[Dhasan River|Dhasan]] and [[Ken River|Ken]] rivers. The region has a tropical climate with dry deciduous forests that are home to a number of tribes, most important of them being the [[Bhils]]. The culture of the region has had influences from Gujarati, Rajasthani and Marathi cultures. Malvi is the most commonly used language, especially in rural areas, while [[Hindi]] is widely understood in cities. Major places of tourist interest include Ujjain, [[Mandu]], [[Maheshwar]] and Indore. |
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The first significant kingdom in the region was Avanti, an important power in western India by around 500 BC, when it was annexed by the [[Maurya Empire]]. The [[5th century|5th-century]] [[Gupta period]] was a golden age in the history of Malwa. The dynasties of the [[Parmara]]s, the Malwa sultans, and the [[Maratha]]s have ruled Malwa at various times. The region has given the world prominent leaders in the arts and sciences, including the poet and dramatist [[Kalidasa]], the author [[Bhartrihari]], the mathematicians and astronomers [[Varahamihira]] and [[Brahmagupta]], and the [[polymath]] king [[Bhoj]]. |
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==History== |
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[[Image:I_india_ujjain_4634v_o.jpg|right|thumb|200px|Coin showing [[Karttikeya]] and [[Lakshmi]] (Ujjain, circa 150–75 BC)]] |
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The name Malwa is derived from the ancient [[Aryan]] tribe of ''[[Malava Kingdom|Malavas]]'', about whom very little is known apart from the fact that they founded the [[Bikram Sambat|Vikrama Samvat]]; this is a calendar dating from 57 BC that is widely used in India and that is popularly associated with the king [[Chandragupta II|Chandragupta Vikramaditya]]. The name ''Malava'' is derived from the Sanskrit term ''Malav'', and means “part of the abode of ''[[Lakshmi]]''”.<ref>[http://www.britannica.com/eb/article-9050395 Malwa plateau on Britannica]</ref> The location of the Malwa or ''Moholo'', mentioned by the 7th century Chinese traveller [[Xuanzang]], is plausibly identified with present-day [[Gujarat]].<ref name="encyclopbr">[http://35.1911encyclopedia.org/M/MA/MALWA.htm Malwa in Encyclopedia Britannica 1911 Edition]</ref> The region is cited as ''Malibah'' in [[Arabic language|Arabic]] records, such as ''Kamilu-t Tawarikh'' by [[Ibn Asir]].<ref>[http://www.panhwar.com/Adobe/Article22.pdf Panhwar, M.H., ''Sindh: The Archaeological Museum of the world.'']</ref> |
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Ujjain, also known historically as ''Ujjaiyini'' and ''Avanti'', emerged as the first major centre in the Malwa region during India's second wave of [[urbanization|urbanisation]] in the 7th century BC (the first wave was the [[Indus Valley Civilization]]). Around 600 BC an earthen rampart was built around Ujjain, enclosing a city of considerable size. Avanti was one of the prominent [[mahajanapada]]s of the [[Indo-Aryans]]. In the post-[[Mahabharata]] period—around 500 BC—Avanti was an important kingdom in western India; it was ruled by the [[Haihayas]], a people who were possibly of mixed Indo-Aryan and aboriginal descent, who were responsible for the destruction of Naga power in western India.<ref name="ahmad">Ahmad, S. H., ''Anthropometric measurements and ethnic affinities of the Bhil and their allied groups of Malwa area.'', Anthropological Survey of India,1991, ''ISBN 81-8557-907-5''</ref> The region was conquered by the [[Maurya empire]] in the mid-4th century BC. [[Ashoka]], who was later a Mauryan emperor, was governor of Ujjain in his youth. After the death of Ashoka in 232 BC, the Maurya Empire began to collapse. Although evidence is sparse, Malwa was probably ruled by the [[Kushan]]as and the [[Indo-Scythians|Shakas]] during the [[2nd century BC|2nd]] and [[1st century BC|1st]] centuries BC. Ownership of the region was the subject of dispute between the [[Western Kshatrapas]] and the [[Satavahana]]s during the first three centuries AD. Ujjain emerged a major trading centre during the 1st century AD. |
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[[Image:rani_Rupmati_pavilion.jpg|thumb|250px|left|Rani Rupmati Pavilion at Mandu, built by [[Baz Bahadur|Miyan Bayezid Baz Bahadur]] (1555–62) ]] |
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Malwa became part of the [[Gupta Empire]] during the reign of [[Chandragupta II]] (375–413), also known as ''Vikramaditya'', who conquered the region, driving out the [[Western Kshatrapa]]s. The Gupta period is widely regarded as a golden age in the history of Malwa, when Ujjain served as the empire's western capital. Kalidasa, [[Aryabhata]] and Varahamihira were all based in Ujjain, which emerged as a major centre of learning, especially in [[astronomy]] and [[mathematics]]. Around 500, Malwa re-emerged from the dissolving [[Gupta]] empire as a separate kingdom; in 528, [[Yasodharman]] of Malwa defeated the [[Hunas]], who had invaded India from the north-west. During the seventh century, the region became part of [[Harsha]]'s empire, and he disputed the region with the [[Chalukya]] king [[Pulakesin II]] of [[Badami]] in the [[Deccan]]. In 786 the region was captured by the [[Rashtrakuta]] kings of the Deccan, and was disputed between the Rashtrakutas and the [[Pratihara]] kings of [[Kannauj]] until the early part of the tenth century. From the mid-tenth century, Malwa was ruled by the Paramara clan of [[Rajput]]s, who established a capital at [[Dhar]]. King [[Bhoj]], who ruled from about 1010 to 1060, was known as the great [[polymath]] philosopher-king of medieval India; his extensive writings cover philosophy, poetry, medicine, veterinary science, phonetics, yoga, and archery. Under his rule Malwa became an intellectual centre of India. Bhoj also founded the city of [[Bhopal]] to secure the eastern part of his kingdom. His successors ruled until about 1200, when Malwa was conquered by the [[Delhi Sultanate]]. |
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[[Dilawar Khan]], previously Malwa's governor under the rule of the Delhi sultanate, declared himself sultan of Malwa in 1401 after the [[Mongol]] conqueror [[Timur]] attacked Delhi, causing the break-up of the sultanate into smaller states. Khan started the ''Malwa Sultanate'' and established a capital at [[Mandu]], high in the [[Vindhya Range]] overlooking the [[Narmada River]] valley. His son and successor, [[Hoshang Shah]] (1405–35), embellished<!--Unclear ... do you mean that he beautified it with great works of art, buildings, etc?--> Mandu. Hoshang Shah's son, Ghazni Khan, ruled for only a year and was succeeded by Sultan Mahmud Khalji (1436–69), the first of the [[Khalji]] sultans of Malwa, who expanded the state to include parts of Gujarat, Rajasthan, and the [[Deccan]]. The Muslim sultans invited the Rajputs to settle in the country. In the early 16th century, the sultan sought the aid of the sultans of Gujarat to counter the growing power of the Rajputs, while the Rajputs sought the support of the [[Sesodia]] Rajput kings of [[Mewar]]. Gujarat stormed Mandu in 1518 and 1531, and shortly thereafter, the Malwa sultanate collapsed. The [[Mughal]] emperor [[Akbar]] captured Malwa in 1562 and made it a province of his empire. Mandu was abandoned by the 17th century. |
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[[Image:Holkar courtian coolspark.jpg|right|thumb|200px|Sculpture of a Holkar courtier from Fort Ahilya]] |
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As the Mughal state weakened after 1700, the Marathas raided Malwa. Malhar Rao [[Holkar]] (1694–1766) became leader of Maratha armies in Malwa in 1724, and in 1733 the Maratha [[Peshwa]] granted him control of most of the region, which was formally ceded by the Mughals in 1738. Another Maratha general, Anand Rao [[Panwar]], established himself as the raja of Dhar in 1742, and the two Panwar brothers became rajas of [[Dewas]]. At the end of the 18th century, Malwa became the venue of fighting between the rival Maratha powers and the headquarters of the [[Pindari]]s, who were irregular plunderers. The Pindaris were rooted out in a campaign by the British general <!--Check my insertion of 'general'; btw, Enc Brit. is not a high-status source ...-->[[Lord Hastings]], and further order was established under [[Sir John Malcolm]].<ref name="encyclopbr" /> The Holkar dynasty ruled Malwa from Indore and [[Maheshwar]] on the [[Narmada river|Narmada]] until 1818, when the Marathas were defeated by the British in the [[Third Anglo-Maratha War]], and the Holkars of Indore became a [[princely state]] of the [[British Raj]]. After 1818 the British organised the numerous princely states of central India into the [[Central India Agency]]; the Malwa Agency was a division of Central India, with an area of 23,100 km² (8,919 square miles) and a population of 1,054,753 in 1901. It comprised the states of Dewas (senior and junior branch), [[Jaora]], [[Ratlam]], [[Sitamau]] and [[Sailana]], together with a large part of [[Gwalior]], parts of Indore and [[Tonk]], and about 35 small estates and holdings. Political power was exercised from Neemuch.<ref name="encyclopbr" /> Upon [[Indian Independence Movement|Indian independence]] in 1947, the Holkars and other princely rulers acceded to India, and most of Malwa became part of the new state of [[Madhya Bharat]], which was merged into [[Madhya Pradesh]] in 1956. |
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''See also:'' [[Rulers of Malwa]], [[History of India]] |
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==Geography== |
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[[Image:Malwa India closeup 1823.png|right|250px|thumb|Malwa and neighbourhood according to the [[historical]] map of India by [[Fielding Lucas Jr.]] (1823).]] |
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The Malwa region occupies a plateau in western Madhya Pradesh and south-eastern [[Rajasthan]] (between {{coor dm|21|10|N|73|45|E|}} and {{coor dm|25|10|N|79|14|E|}}),<ref name="ahmad" /> with [[Gujarat]] in the west. To the south and east is the [[Vindhya Range]] and to the north is the [[Bundelkhand]] upland. The plateau is an extension of the [[Deccan Traps]], formed between 60 and 68 [[geologic timescale|million years ago]]<ref>[http://ksgeo.kj.yamagata-u.ac.jp/~iwata/personal/Deccan-e.htm Geochronological Study of the Deccan Volcanism by the 40Ar-39Ar Method]</ref><ref>[http://www.mantleplumes.org/Deccan.html The Deccan beyond the plume hypothesis]</ref> at the end of the [[Cretaceous]] [[Geologic period|period]]. In this region the main classes of soil are [[black soil|black]], brown and ''bhatori'' (stony) soil. The volcanic, clay-like soil of the region owes its black colour to the high [[iron]] content of the [[basalt]] from which it formed. The soil requires less irrigation because of its high capacity for moisture retention. The other two soil types are lighter and have a higher proportion of sand. |
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The average elevation of the plateau is 500 m. Some of the peaks over 800 m high are at Sigar (881 m), Janapav (854 m) and Ghajari (810 m). The plateau generally slopes towards the north. The western part of the region is drained by the [[Mahi River]], while the [[Chambal River]] drains the central part, and the [[Betwa River]] and the headwaters of the [[Dhasan River|Dhasan]] and [[Ken River|Ken]] rivers drain the east. The [[Shipra River]] is of historical importance because of the [[Kumbh Mela|Simhasth mela]], held every 12 years. Other notable rivers are [[Parbati River|Parbati]], [[Gambhir River|Gambhir]] and [[Choti Kali Sindh]]. Malwa's elevation gives it a mild, pleasant climate; a cool morning wind, the ''karaman'', and an evening breeze, the ''[[Shab-e-Malwa]]'', make the summers less harsh. |
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[[Image:Mhow2 coolspark.jpg|left|250px|thumb| The [[Vindhya Range]] marks the southern boundary of the plateau, and is the source of many rivers of the region.]] |
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The year is popularly divided into three seasons: summer, the rains, and winter. Summers extends over the months of [[Chaitra]] to [[Jyestha]] (mid-March to mid-May). The average daily temperature during the summer months is 35 °C, which typically rises to around 40 °C on a few days. The rainy season starts with the first showers of [[Aashaadha]] (mid-June) and extends to the middle of [[Ashvin]] (September). Most of the rain falls during the southwest [[monsoon]] spell, and ranges from about 100 cm in the west to about 165 cm in the east. Indore and the immediately surrounding areas receive an average of 140 cm of rainfall a year. The growing period lasts from 90 to 150 days, during which the average daily temperature is below 30 °C, but seldom falls below 20 °C. Winter is the longest of the three seasons, extending for about five months (mid-[[Ashvin]] to [[Phalgun]], i.e., October to mid-March). The average daily temperature ranges from 15 °C to 20 °C, though on some nights it can fall as low as 7 °C. Some cultivators believe that an occasional winter shower during the months of [[Pausha]] and [[Maagha]]—known as Mawta—is helpful to the early summer wheat and germ crops.<ref name="ahmad" /> |
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[[Image:Sambar_chennai.jpg|right|thumb|250px|The Sambhar is one of the most common wild animals found in the region.]] |
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The region is part of the [[Kathiawar-Gir dry deciduous forests]] [[ecoregion]]. |
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[[Vegetation]]: The natural vegetation is [[tropical dry forest]], with scattered [[teak]] ''(Tectona grandis)'' forests. The main trees are ''[[Butea]]'', ''[[Bombax]]'', ''[[Anogeissus]]'', ''[[Acacia]]'', ''[[Buchanania]]'' and ''[[Boswellia]]''. The shrubs or small trees include species of ''[[Grewia]], [[Ziziphus mauritiana]], [[Casearia]], [[Prosopis]], [[Capparis]], [[Woodfordia]], ''[[Phyllanthus]],'' and ''[[Carissa]]''. |
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[[Wildlife]]: [[Sambar Deer|Sambhar]] ''(Cervus unicolor)'', [[Blackbuck]] ''(Antilope cervicapra)'', and [[Chinkara]] ''(Gazella bennettii)'' are some common [[ungulate]]s.<ref>[http://dewas.nic.in/index_01.htm Dewas district]</ref> |
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During the last century, deforestation has happened at a fast rate, leading to environmental problems such as acute water scarcity and the danger that the region is being desertified. |
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''See also'': [[Geography of India]] |
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==Demographics== |
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[[Image:gaduliya.jpg|right|250px|thumb| A girl from the [[Gadia Lohar]]s nomadic tribe of [[Marwar]], cooking on the outskirts of a village in [[Ratlam]] district]] |
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The population of the Malwa region was about 18.9 million in 2001, with a population density of a moderate 231/km². The annual birth rate in the region was 31.6 per 1000, and the death rate 10.3. The infant mortality rate was 93.8, slightly higher than the overall rate for the Madhya Pradesh state. There are numerous tribes in the region, such as the [[Bhils]]—and their allied groups, the [[Bhilala]]s, [[Barela]]s and [[Patelia]]s—and the [[Meenas]], who all differ to a remarkable degree from the regional population in their dialects and social life. They encompass a variety of languages and cultures. Some tribes of the region, notably the [[Kanjar]]s, were [[Notified tribes of India|notified]] in the 19th century for their criminal activities, but have since then been [[Denotified tribes of India|denotified]]. A nomadic tribe from the [[Marwar]] region of Rajasthan, the [[Gadia Lohar]]s—who work as ''lohars'' (blacksmiths)—visit the region at the start of the agricultural season to repair and sell agricultural tools and implements, stopping temporarily on the outskirts of villages and towns and residing in their ornate metal carts. The [[Kalbelia]]s are another nomadic tribe from Rajasthan that regularly visits the region.<ref>[http://www.nativeplanet.org/indigenous/cultures/india/kalbeliya/kalbeliya.shtml Kalbeliya nomads]</ref> |
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Malwa has a significant number of [[Dawoodi Bohras]], a subsect of [[Shia]] Muslims from Gujarat, who are mostly businessmen by profession. Besides speaking the local languages, the Bohras have their own language, [[Lisan al-Dawat]]. The [[Patidar]]s, who probably originated from the [[Kurmi]]s of [[Punjab region|Punjab]], are mostly rural farmers who settled in Gujarat around 1400. Periods of sultanate and Maratha rule led to the growth of sizeable Muslim and [[Marathi]] communities. A significant number of [[Jats]] and [[Rajput]]s also live in the region. The [[Sindhi people|Sindhis]], who settled in the region after the [[partition of India]], are an important part of the business community. Like neighbouring [[Gujarat]] and southern [[Rajasthan]]<!--'neighbouring' and 'southern' is awkward: can we have both as directions or both as neighbours? Re: "southern Rajasthan" and "Gujarat" are the neighbours, the assertion being valid for the whole of Gujarat, but only southern parts of Rajasthan-->, the region has a significant number of [[Jain]]s, who are mostly traders and business people. The region is home to smaller numbers of [[Zoroastrian|Parsi]]s or Zoroastrians, [[Goa]]n Catholics, [[Anglo-Indian]]s, and [[Punjabi]]s. The Parsis are intimately connected with the growth and evolution of [[Mhow]], which has a Parsi fire temple and a [[Tower of Silence]]. |
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==Economy== |
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[[Image:scan00051542542.jpg|right|thumb|250px|Children in an [[opium]] field in Malwa]] |
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The region is one of the world's major opium producers. It was this crop that resulted in close connections between the economies of Malwa, the western Indian ports and [[China]], bringing international capital to the region in the 18th and 19th centuries. Malwa opium was a challenge to the [[monopoly]] of the [[British East India Company|East India Company]], which was supplying [[Bengal]] opium to China. This led the British company to impose many restrictions on the production and trade of the drug; eventually, opium trading was pushed underground. When smuggling became rife, the [[British Empire|British]] eased the restrictions. Today, the region is still one of the largest producers of legal opium in the world. There is a central, government-owned opium and alkaloid factory in the city of Neemuch. Nevertheless, there is a still a significant amount of illicit opium production, which is channelled into the black market. The headquarters of India's Central Bureau of Narcotics is in [[Mandsaur]]. |
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The region is predominantly agricultural. The black, volcanic soil is ideal for the cultivation of cotton, and textile manufacture is an important industry. Large centres of textile production include Indore, Ujjain and Nagda. Maheshwar is known for its fine ''Maheshwari'' saris, and Mandsaur for its coarse woollen blankets. Handicrafts are an important source of income for the tribal population. Coloured lacquerware from Ratlam, rag dolls from Indore, and papier-mâché articles from Indore, Ujjain and several other centres are well known. The brown soil in parts of the region is particularly suitable for the cultivation of such ''unalu'' (early summer) crops as wheat, gram (''[[Cicer arietinum]]'') and til (''[[Sesamum indicum]]''). Relatively poor soil is used for the cultivation of ''syalu'' such (early winter) crops as millet (''[[sorghum|Andropogon sorghum]]''), maize (''[[Zea mays]]''), [[mung bean]] (''[[Vigna radiata]]''), [[urd bean]] (''[[Vigna mungo]]''), batla (''[[Pisum sativum]]'') and peanuts (''[[peanut|Arachis hypogaea]]''). Overall, the main crops are jowar, rice, wheat, coarse millet, peanuts and pulses, soya bean, cotton, linseed, sesame and sugarcane. Sugar mills are located in numerous small towns. Mandsaur district is the sole producer in India of white- and red-coloured [[slate]], used in the district's 110 slate pencil factories<!--check 'factories'-->. There is a cement factory in <!--name the town?-->. Apart from this, the region lacks mineral resources. The region's industries mainly produce consumer goods—but there are now many centres of large- and medium-scale industries, including Indore, Nagda, and Ujjain. Indore has a large-scale factory that produces diesel engines. [[Pithampur]], an industrial town 25 km from Indore, is known as the Detroit of India for its heavy concentration of automotive industry. Indore is recognised as the commercial capital of Madhya Pradesh, and is the main centre for trade in textiles and agro-based products. It has one of the six [[Indian Institute of Management Indore|Indian Institutes of Management]]<!--This is for training managers or regulating professional standards? Re: Training managers-->. |
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==Culture== |
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[[Image:Maheshwar coolspark.jpg|thumb|200px|right|A Maratha-styled sculpture from Maheshwar]] |
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The culture of Malwa has been significantly influenced by [[Gujarat]]i and [[Rajasthani]] culture, because of their geographic proximity. Marathi influence is also visible, because Malwa was the recent rule by the Marathas. The main language of Malwa is ''[[Malvi]]'', although [[Hindi]] is widely spoken in the cities. This Indo-European language is subclassified as Indo-Aryan. The language is sometimes referred to as Malavi or Ujjaini. Malvi is part of the [[Rajasthani languages| Rajasthani]] branch of languages; ''Nimadi'' is spoken in the [[Nimar]] region of Madhya Pradesh and in [[Rajasthan]]. The dialects of Malvi are, in alphabetical order, ''Bachadi'', ''Bhoyari'', ''Dholewari'', ''Hoshangabadi'', ''Jamral'', ''Katiyai'', Malvi Proper, ''Patvi'', ''Rangari'', ''Rangri'' and ''Sondwari''. A survey in 2001 found only four dialects: Ujjaini (in the districts of Ujjain, Indore, Dewas and Sehore), ''Rajawari'' (Ratlam, Mandsaur and Neemuch), ''Umadwari'' (Rajgarh) and ''Sondhwari'' (Jhalawar, in Rajasthan). About 55% of the population of Malwa can converse in and about 40% of the population is literate in Hindi, the official language of the Madhya Pradesh state.<ref>[http://www.ethnologue.com/show_language.asp?code=mup Ethnologue]</ref> |
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Traditional Malwa food has elements of both [[Gujarati cuisine|Gujarati]] and [[Rajasthani cuisine]]. Traditionally, [[jowar]] was the staple cereal, but after the [[green revolution]] in India, wheat has replaced jowar as the most important food crop; many are [[vegetarian]]s. Since the climate is mostly dry throughout the year, most people rely on stored foods such as pulses, and green vegetables are rare. A typical snack of Malwa is the ''bhutta ri kees'' (made with grated corn roasted in [[ghee]] and later cooked in milk with spices). ''Chakki ri shaak'' is made of wheat dough, which is washed under running water, steamed and then used in a gravy of curd. The traditional bread of Malwa is called ''baati/bafla'', which is essentially a small, round ball of wheat flour, roasted over dung cakes, in the traditional way. ''[[Baati]]'' is typically eaten with dal (pulses), while ''baflas'' are dripping with ghee and soaked with dal. The ''amli ri kadhi'' is ''kadhi'' made with tamarind instead of yogurt. Sweet cakes, made of a variety of wheat called ''tapu'', are prepared during religious festivities. Sweet cereal called ''thulli'' is also typically eaten with milk or yoghurt. Traditional desserts include ''mawa-bati'' (milk-based sweet similar to [[Gulab jamun]]), ''khoprapak'' (coconut-based sweet), ''[[shreekhand]]'' (yogurt based) and ''malpua''. |
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''[[Lavani]]'' is a widely-practised form of folk music in southern Malwa, which came through the Marathas. The ''Nirguni Lavani'' (philosophical) and the ''Shringari Lavani'' (erotic) are the two of the main genres. The Bhils have their own folk songs, which are always accompanied by dance. The folk musical modes of Malwa are of four or five notes, and in rare cases six. The devotional music of the ''Nirguni'' cult is popular throughout Malwa. Legends of ''Raja'' Bhoj and ''Bijori'', the ''Kanjar'' girl, and the tale of ''Balabau'' are popular themes for folk songs. Insertions known as ''stobha'' are commonly used in Malwa music; this can occur in four ways: the ''matra stobha'' (syllable insertion), ''varna stobha'' (letter insertion), ''shabda stobha'' (word insertion) and ''vakya stobha'' (sentence insertion).<ref>[http://www.webindia123.com/MADHYA/ARTS/folkmusic2.htm Folk music of Madhya Pradesh]</ref> |
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[[Image:Mhow coolspark.jpg|thumb|250px|left|Typical countryside near Mhow during the [[monsoon]] season]] |
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Malwa was the centre of Sanskrit literature during and after the Gupta period. The region's most famous playwright, [[Kalidasa]], is considered to be the greatest Indian writer ever. His first surviving play is ''Malavikagnimitra'' (Malavika and Agnimitra). Kalidasa's second play, his masterpiece, is the [[Abhijñānaśākuntalam]], which tells the story of king Dushyanta, who falls in love with a girl of lowly birth, the lovely Shakuntala. The last of Kalidasa's surviving plays is ''[[Vikramuurvashiiya]]'' ("Urvashi conquered by valour"). Kalidasa also wrote the epic poems ''[[Raghuvamsha]]'' ("Dynasty of Raghu"), ''[[Ritusamhaara|Ritusamhāra]]'' and ''Kumarasambhava'' ("Birth of the war god"), as well as the lyric ''[[Meghaduuta]]'' ("The cloud messenger"). |
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''[[Swang]]'' is a popular dance form in Malwa; its roots go back to the origins of the Indian theatre tradition in the first millennium BC. Since women did not participate in the dance-drama form, men enacted their roles. ''Swang'' incorporates suitable theatrics and mimicry, accompanied alternatately by song and dialogue. The genre is dialogue-oriented rather than movement-oriented.<ref>[http://www.boloji.com/dances/00123.htm 'Swang' – The Folk Dance of Malwa]</ref> |
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''Mandana'' (literally painting) wall and floor paintings are the best-known painting traditions of Malwa. White drawings stand out in contrast to the base material consisting of a mixture of red clay and cow dung. Peacocks, cats, lions, goojari, bawari, the [[swastika]] and chowk are some motifs of this style<!--Consider omitting 'swastika' unless it's really important—many readers will take it the wrong way Re: swastika is an important motif throughout India, absolutely essential in many places. -->. ''Sanjhya'' is a ritual wall painting done by young girls during the annual period when Hindus remember and offer ritual oblation to their ancestors. Malwa miniature paintings are well known for their intricate brushwork.<ref>[http://ignca.nic.in/nl002903.htm Paintings of Mewar and Malwa]</ref> In the 17th century, an offshoot of the Rajasthani school of miniature painting, known as ''Malwa painting'', was centred largely in Malwa and Bundelkhand. The school has preserved the style of the earliest examples, such as the ''Rasikapriya'' series dated 1636 (after a poem analysing the love sentiment) and the ''Amaru Sataka'' (a 17th-century Sanskrit poem). The paintings from this school are flat compositions on black and chocolate-brown backgrounds, with figures shown against a solid colour patch, and architecture painted in vibrant colours.<ref>[http://0-www.search.eb.com.library.uor.edu/eb/article-9050393 Malwa painting on Encyclopedia Britannica]</ref> |
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[[Image:Ujjainshipra.jpg|right|thumb|250px|Women making offerings on the banks of the river Shipra, Ujjain]] |
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The biggest festival of Malwa is the ''Simhastha mela'', held every 12 years, in which more than a million pilgrims take a holy dip in river [[Shipra]]. The festival of ''Gana-gour'' is celebrated in honour of [[Shiva]] and [[Parvati]]. The history of the festival goes back to ''Rano Bai'', whose parental home was in Malwa, but who was married in Rajasthan. Rano Bai was strongly attached to Malwa, and did not want to stay in Rajasthan. After marriage, she was allowed to visit Malwa only once a year; ''Gana-gour'' symbolises these annual return visits. The festival is observed by the women in the region once in the month of ''Chaitra'' (mid-March) and ''Bhadra'' (mid-August). The ''Ghadlya'' (earthen pot) festival is celebrated by the girls of the region, who gather to visit every house in their village in the evenings, carrying earthen pots with holes for the light from oil lamps inside to escape. In front of every house, the girls recite songs connected with the Ghadlya and receive food or money in return. The ''Gordhan'' festival is celebrated on the 16th day in the month of Kartika. The [[Bhil]]s of the region sing ''Heeda'' anectodal songs to the cattle, while the women sing the ''Chandrawali'' song, associated with [[Krishna]]'s romance.<ref>[http://www.webindia123.com/MADHYA/festivals/festivals6.htm Festivals of Madhya Pradesh]</ref> |
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The most popular fairs are held in the months of ''[[Phalguna]]'', ''[[Chaitra]]'', ''[[Bhadra]]'', ''[[Ashvin]]'' and ''[[Kartik]]''. The ''Chaitra'' fair, held at Biaora, and the ''Gal yatras'', held at more than two dozen villages in Malwa are remarkable. Many fairs are held in the tenth day of the month of ''Bhadra'' to mark the birth of [[Tejaji]]. The ''Triveni mela'' is held at [[Ratlam]], and other fairs take place in ''Kartika'' at Ujjain, Mandhata (Nimad), Nayagaon, among others.<ref>[http://www.webindia123.com/Madhya/festivals/festivals.htm Fairs of Madhya Pradesh]</ref> In the [[Belisarius series]], by [[David Drake]] and [[Eric Flint]], the people of Malwa are chosen by malicious beings from the future to change the course of history. The [[Byzantine Empire|Byzantine]] general [[Belisarius]] is set against them by a creature sent by a benevolent group of future beings. |
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==Tourism== |
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The main tourist destinations in Malwa are places of historical or religious significance. The river Shipra and the city of Ujjain have been regarded as sacred for thousands of years. The [[Mahakal|Mahakal Temple]] of Ujjain is one of the 12 ''[[jyotirling]]as''. Ujjain has over 100 other ancient temples, including ''Harsidhhi'', ''Chintaman Ganesh'', ''Gadh [[Kali]]ka'', ''Kaal [[Bhairava]]'' and ''Mangalnath''. The Kalideh Palace, on the outskirts of the city, is a fine example of ancient Indian architecture. The [[Bhartrihari]] caves are associated with interesting legends. Since the fourth century BC, Ujjain has enjoyed the reputation of being India's [[Greenwich]]<ref>[http://www.ujjain.nic.in/mpdistrictsroot.htm Ujjain district official portal]</ref>, |
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as the [[Prime Meridian|first meridian of longitude]] of the Hindu geographers. The observatory built by [[Jai Singh II]] is one of the four such observatories in India and features ancient astronomical devices. The ''Simhastha mela'', celebrated every 12 years, starts on the full moon day in Chaitra (April) and continues into Vaishakha (May) until the next full moon day. |
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[[Image:Manduvalley1 coolspark.jpg|thumb|250px|right|[[Mandu]] Valley]] |
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[[Mandu]] was originally the fort capital of the Parmar rulers. Towards the end of the 13th century, it came under the sway of the Sultans of Malwa, the first of whom named it Shadiabad (city of joy). It remained as the capital, and in it the sultans built exquisite palaces like the Jahaz Mahal and Hindola Mahal, ornamental canals, baths and pavilions. The massive Jami Masjid and Hoshang Shah's tomb provided inspiration to the designers of the [[Taj Mahal]] centuries later. [[Baz Bahadur]] built a huge palace in Mandu in the 16th century. Other notible historical monuments are ''Rewa Kund'', [[Rupmati]]'s Pavillion, Nilkanth Mahal, Hathi Mahal, Darya Khan's Tomb, Dai ka Mahal, Malik Mughit's Mosque and Jali Mahal. |
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[[Image:Fort ahilya coolspark.jpg|thumb|250px|left|[[Fort Ahilya]] in [[Maheshwar]]]] |
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Close to Mandu is Maheshwar, a town on the northern bank of [[Narmada River]] that served as the capital of the Indore state under [[Rajmata Ahilya Devi Holkar]]. The Maratha ''rajwada'' (fort) is the main attraction. A life-size statue of Rani Ahilya sits on a throne within the fort complex. Dhar was the capital of Malwa before Mandu became the capital in 1405. There, the fort is in ruins but offers a panoramic view. The Bhojashala Mosque (built in 1400) is still used as a place of worship on Fridays. The abandoned Lat Masjid (1405) and the tomb of Kamal Maula (early 15th century), a Muslim saint, are other places of interest. |
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Modern Indore was planned and built by Rajmata Ahilya Devi Holkar. The grand Lal Baag Palace is one of its grandest monuments. The ''Bada Ganpati'' temple houses what is possibly the largest Ganesh idol in the world, measuring 7.6 m from crown to foot. The ''Kanch Mandir'' is a Jain temple entirely inlaid with glass. The Town Hall was made in 1904 in indo-gothic style; originally named [[Edward VII of the United Kingdom|King Edward]] Hall, it was renamed [[Mahatma Gandhi]] Hall in 1948. The ''chhatris'' are the tombs or cenotaphs erected in memory of dead Holkar rulers and their family members. |
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The shrine of [[Hussain Tekri]], built by the Nawab of [[Jaora]], Mohammad Iftikhar Ali Khan Bahadur, in the 19th century, is on the outskirts of Jaora in the Ratlam district. Mohammad Iftikhar Ali Khan Bahadur was buried in the same graveyard where Hussain Tekri was buried. During the month of [[Moharram]], thousands of people from all over the world visit the shrine of [[Husayn ibn Ali|Hazrat Imam Hussain]] there, which is a replica of the Iraqi original. The place is famous for the rituals called ''Hajri'' to cure mental illness. |
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==See also== |
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* [[Madhya Pradesh ]] |
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* [[ Rajasthan ]] |
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* [[List of notable people from Malwa]] |
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* [[Rajasthani cuisine]] |
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{{GeoSouthAsia}} |
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==Notes== |
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<div class="references-small"> |
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<references /> |
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==References== |
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* [[John Malcolm|Malcolm, Sir John]], ''A Memoir of Central India including Malwa and Adjoining Provinces.'' Calcutta, Spink, 1880, 2 Volumes, 1129 p., ''ISBN 81-7305-199-2.'' |
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* Chakrabarti, Manika, ''Malwa in Post-Maurya period: a critical study with special emphasis on numismatic evidences.'' Calcutta. Punthi Pustak, 1981. |
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* Day, Upendra Nath, ''Medieval Malwa: a political and cultural history 1401–1562.'', New Delhi, Munshiram Manoharlal, 1965. |
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* Jain, Kailash Chand, ''Malwa through the ages from the earliest times to 1305 A.D.'', Delhi, Motilal Banarsidass, 1972. |
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* Khare, M.D. ''Splendour of Malwa paintings.'', New Delhi, Cosmo Publications, 1983., ''ASIN B0006EHSUU'' |
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* Joshi, Ramchandra Vinayak, ''Stone age cultures of Central India.'', Poona, Deccan College, 1978. |
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* Seth, K.N., ''The growth of the Paramara power in Malwa.'', Bhopal, Progress Publishers, 1978. |
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* Sharma, R.K., ed., ''Art of the Paramaras of Malwa.'', Delhi, Agam Kala Prakashan, 1979. |
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* Sircar, D.C. ''Ancient Malwa and the Vikramaditya tradition.'', New Delhi, Munshiram Manoharlal, 1969., ''ISBN 81-2150-348-5'' |
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* Singh, Raghubir, ''Malwa in transition'', Laurier Books, 1993, ''ISBN 81-2060-750-3'' |
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* Srivastava, K, ''The revolt of 1857 in Central India-Malwa'', Allied Publishers, ''ASIN B0007IURKI'' |
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* Ahmad, S. H., ''Anthropometric measurements and ethnic affinities of the Bhil and their allied groups of Malwa area.'', Anthropological Survey of India,1991, ''ISBN 81-8557-907-5'' |
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* Farooqui, Amar, ''Smuggling as subversion : colonialism, Indian merchants, and the politics of opium, 1790-1843'', Lexington Books, 2005, ''ISBN 07-3910-886-7'' |
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* Mathur, Kripa Shanker, ''Caste and ritual in a Malwa village'', Asia Pub. House, 1964. |
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==External links== |
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{{commons|Malwa}} |
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* [http://www215.pair.com/sacoins/public_html/malwa_main.htm Malwa Sultanate Coins] |
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* [http://www.mptourism.com/ Madhya Pradesh Tourism] |
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* [http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/mw.htm मालवा क्षेत्र: A comprehensive reference in Hindi] |
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{{PunjabGeography}} |
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[[Category:Geography of India]] |
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[[Category:Historical Indian regions]] |
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[[Category:Madhya Pradesh]] |
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[[Category:Malwa]] |
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[[Category:Plateaus]] |
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[[Category:Regions of India]] |
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[[fr:Mâlvâ]] |
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[[hi:मालवा]] |
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[[ja:マールワ]] |
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[[sv:Malwa]] |
Revision as of 22:54, 26 July 2006
की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के 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प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है। की वह भौगोलिक इकाई, जिसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७' से २५#ं१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५' से ७९#ं१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी विदिशा थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "मालवा' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है।