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गडरिया
गडरिया मुख्य रूप से सनातन हिन्दू धर्म को मानने वाली एक भेड़-बकरी पालक जाति है। इस जाति के लोग अपनी उत्पत्ति भगवान शिव से बताते है इसलिए इस जाति के लोग सम्पूर्ण भारत मे अपने कुलदेवता भगवान शिव को ही मानते है। शिव के अलावा यह जाति भगवान विष्णु भगवान श्री कृष्ण आदि सभी सनातन हिंदू देवी देवताओं को मानती है गडरिया प्राकृतिक के निकट जीवन यापन करने वाली परिश्रमी जाति है। गडरिया जाति भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाने वाली प्रमुख जातियों में से एक है।
गडरिया जाति एक घुमन्तू चरवाह जाति थी इस जाति को ब्रिटिश काल में अंग्रेजों द्वारा विस्थापित करना शुरू किया गया था लेकिन आज भी यह जाति बहुत से प्रदेशों में घुमन्तू जीवन यापन करती है ।
गडरिया जाति के पुरुष सिर पर पगड़ी ,कानों में सोने की मुरकी ,कांधे पर काली कम्बली , तथा हाथ मे लाठी विशेष रूप से रखते थे
तथा गडरिया जाति की महिलाएं मुख्यतः दामन/घाघरा कुर्ती व ओढ़नी पहरा करती थी व हाथों में लाक की चूड़ियां पहना भी करती थी लाक की चूड़ियां गडरिया जाति में सुहाग की निशानी कही जाती हैं जो गडरिया सामज की संस्कृति से आज भी जुड़ी हैं ।
गडरिया समाज केई वेशभूषा आधुनिकता के कारण विलुप्त होती जा रही है।
यह जाति भारत के अलावा नेपाल ,पाकिस्तान ,श्रीलंका में भी पायी जाती है।
गडरिया शब्द की उत्तपत्ति संस्कृत के गड्डलिका शब्द हुई है जिसका अर्थ भेड़ो के रेवड़ में सबसे आगे चलने वाले व्यक्ति या रानी भेड़ से है।
गडरिया को संस्कृत में मेषपाल ,अजापाल , व गड्डलिका के नाम से जाना जाता हैं।
कुछ इतिहासकारो का मानना हैं कि गडरिया शब्द की उत्तपत्ति हिंदी की क्षेत्रीय बोली के " गाडर "शब्द से हुई है जिसका अर्थ है भेड़।
और गढ़+आर्य =गडरिया जहाँ
गढ़ का अर्थ है किला/समूह
आर्य का अर्थ है स्वामी/पति/राजा ।
उत्तर भारत मे गडरिया के दो मुख्य वर्ग हैं 1.निखर व 2.ढेंगर (जिसे धनगर भी कहते हैं)
1.निखर वर्ग 36 गौत्रीय खाप
2.ढेंगर(धनगर) वर्ग 48 गौत्रीय खाप
गडरिया के कुल गोत्र 84 हैं लेकिन एक गोत्र की कई शाखाएं होने के कारण यह संख्या सेकड़ो से ज्यादा हो गयी है।
गडरिया को भारत के विभिन्न प्रदेशों में भिन्न भिन्न नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत मे यह जाति गडरिया के नाम से जानी जाती है उत्तर भारत मे इस जाति के लोग पाल ,पाली ,बघेल , निखर ,ढेंगर ,धनगर ,गाडरी ,गारी ,गायरी ,भेड़ियार , गड़ेरी आदि नामों से जाना जाता है।
उत्तर भारत मे यह जाती उत्तर प्रदेश ,दिल्ली , हरियाणा ,पंजाब ,हिमाचल प्रदेश ,बिहार ,झारखंड ,छत्तीसगढ़ ,मध्य प्रदेश ,राजस्थान गुजरात , बंगाल(बहुत कम मात्रा में पाए जाते है) राज्यों में पायी जाती है।
पश्चिम भारत महाराष्ट्र व गौवा में इस जाति को धनगर या मेंढ़पाल के नाम से जाना जाता हैं महाराष्ट्र में भी धनगर के दो मुख्य वर्ग 1.हटकर व 2. खुंटेकर।
महाराष्ट्र में धनगर समाज के कुल 108 गोत्र है ।
दक्षिण भारत मे गडरिया जाति को कुरुबा/कुरुमा/कुरुम्बा के नाम से जाना जाता है । कर्नाटक में कुरुबा , तमिलनाडु में कुरुम्बा , आंध्र प्रदेश/तेलंगाना में कुरुमा।
दक्षिण भारत मे भी कुरुबा के दो वर्ग है 1.हत्ती कंकण व 2.ऊनी कंकण।