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Namaste Sada Vatsale

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Namaste Sada Vatsale (Sanskrit:नमस्ते सदा वत्सले) is Rashtriya Swayamsevak Sangh's prayer.[1] The Sangh Prarthana was first publicly sung by RSS Pracharak Yadav Rao Joshi on May 18, 1940 in Sangh Shiksha Varg held at Nagpur.[2] This prayer is in Sanskrit except last line which is in Hindi. It is compulsory to sing this prayer in all programs of Sangh. It was written by Shri Narhar Narayan Bhide, a Sanskrit professor in guidance of Dr. K. B. Hedgewar and Madhav Sadashiv Golwalkar.

Sanskrit

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे,
(हे परम वत्सला मातृभूमि! मै तुझे निरंतर प्रणाम करता हु,)
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।
(हे हिंदुभूमी, तूने सब सुख दे कर मुझको बड़ा किया|)
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे,
(हे महा मंगला पुण्यभूमि!)
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।
(तेरे ही कारण मेरी यह काया, तुझको अर्पित, तुझे मै अनन्त बार प्रणाम करता हु।।)

प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता,
(हे सर्व शक्तिमय परमेश्वर! हम हिन्दुराष्ट्र के अंगभूत घटक,)
इमे सादरं त्वां नमामो वयम् |
(तुझे आदर पूर्वक प्रणाम करते है।)
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयं,
(तेरे ही कार्य के लिए हमने कमर कसी है,)
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ||
(उसकी पूर्ति के लिए हमें शुभ आशीर्वाद दे||)

अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं,
(सारा विश्व का सामना कर सके, अजेय ऐसी शक्ति दे ,)
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत् |
(सारा जगत विनम्र हो ऐसा विशुद्ध (उत्तम) शील|)
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं,
(तथा बुद्धि पूर्वक स्वीकृत, हमारे कंटकमय मार्ग को सुगम करे,)
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।
(ऐसा ज्ञान भी हमें दे।।)

समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं
(अभ्युदय सहित निःश्रेयस की प्राप्ति का,)
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
(वीर व्रत नामक जो सर्वश्रेष्ठ, साधन है,)
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
(उसका हम लोगों के अंत:करण में स्फुरहण हो,)
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम् ।
(हमारे हृदय मे, अक्षय तथा तीव्र ध्येयनिष्ठा सदैव जागृत रहे।)

विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
(तेरे आशीर्वाद से हमारी विजय शालीन संघटित कार्य शक्ति,)
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।
(धर्म का रक्षण कर ।)
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
(अपने इस राष्ट्र को परम वैभव की स्थिति,)
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।।
(पर ले जाने में अतीव समर्थ हो ।।)

भारत माता की जय ।।

IAST

namaste sada vatsale matrabhume
tvayā hindubhūme sukhaṁ vardhitoham
mahāmaṅgale puṇyabhūme tvadarthe
patatveṣh kāyo namaste namaste ||

prabho śaktiman hindurāṣṭrāṅgabhūtā
ime sādaraṁ tvāṁ namāmo vayam
tvadīyāya kāryāya badhdā kaṭīyaṁ
śubhāmāśiṣaṁ dehi tatpūrtaye
ajayyāṁ ca viśvasya dehīśa śaktiṁ
suśīlaṁ jagadyena namraṁ bhavet
śrutaṁ caiva yatkaṇṭakākīrṇa mārgaṁ
svayaṁ svīkṛtaṁ naḥ sugaṁ kārayet ||

samutkarṣaniḥśreyasasyaikamugraṁ
paraṁ sādhanaṁ nāma vīravratam
tadantaḥ sphuratvakṣayā dhyeyaniṣṭhā
hṛdantaḥ prajāgartu tīvrāniśam
vijetrī ca naḥ saṁhatā kāryaśaktir
vidhāyāsya dharmasya saṁrakṣaṇam
paraṁ vaibhavaṁ netumetat svarāṣṭraṁ
samarthā bhavatvāśiśā te bhṛśam || bhārata mātā kī jaya

Meaning

Our beloved motherland, We bow to you forever.Oh Great Nation, The sacred realm, we were brought up here with your immense care, love and nourishment. We dedicate the whole of ourselves to your service forever. Millions and millions of Pranams.

We the children of this great Nation bow to Thee in reverence, O Almighty,  We have braced up to carry on Thy work. Give us Thy holy blessings for its fulfilment. O Lord! Grant us the unbeatable might, which no power on earth can ever challenge, such a  purity of character that will command the respect of entire universe and such knowledge and guidance that would make the uphill task, voluntarily chosen by us an effortless.

May we be inspired with the spirit of stern valour, that is sole and ultimate means of attaining the highest spiritual bliss with the greatest temporal prosperity. May intense and everlasting devotion to our ideal ever enthuse our hearts. By Thy Grace, let the actions of our organized power be victorious, be wholly capable of protecting our dharma and to lead this nation of ours to the highest pinnacle of glory.

Verse Translation in Hindi

A poet laureate from India has translated this Sanskrit prayer in Hindi. It was published in a book[3] in the year 1992. The same verse translation is reproduced hereunder for the wikipedia viewers:


हे परम वत्सला मातृभूमि! तुझको प्रणाम शत कोटि बार।
हे महा मंगला पुण्यभूमि ! तुझ पर न्योछावर तन हजार।।

हे हिन्दुभूमि भारत! तूने, सब सुख दे मुझको बड़ा किया;
तेरा ऋण इतना है कि चुका, सकता न जन्म ले एक बार।
हे सर्व शक्तिमय परमेश्वर! हम हिंदुराष्ट्र के सभी घटक,
तुझको सादर श्रद्धा समेत, कर रहे कोटिशः नमस्कार।।

तेरा ही है यह कार्य हम सभी, जिस निमित्त कटिबद्ध हुए;
वह पूर्ण हो सके ऐसा दे, हम सबको शुभ आशीर्वाद।
सम्पूर्ण विश्व के लिये जिसे, जीतना न सम्भव हो पाये;
ऐसी अजेय दे शक्ति कि जिससे, हम समर्थ हों सब प्रकार।।

दे ऐसा उत्तम शील कि जिसके, सम्मुख हो यह जग विनम्र;
दे ज्ञान जो कि कर सके सुगम, स्वीकृत कन्टक पथ दुर्निवार।
कल्याण और अभ्युदय का, एक ही उग्र साधन है जो;
वह मेरे इस अन्तर में हो, स्फुरित वीरव्रत एक बार।।

जो कभी न होवे क्षीण निरन्तर, और तीव्रतर हो ऐसी;
सम्पूर्ण ह्र्दय में जगे ध्येय, निष्ठा स्वराष्ट्र से बढे प्यार।
निज राष्ट्र-धर्म रक्षार्थ निरन्तर, बढ़े संगठित कार्य-शक्ति;
यह राष्ट्र परम वैभव पाये, ऐसा उपजे मन में विचार।।

।। भारत माता की जय ।।

प्रार्थनेचा अर्थ

हे वत्सल मातृभूमे, मी तुला सदैव नमस्कार करतो. हे हिन्दुभूमे, तू माझे सुखाने पालनपोषण केलेले आहेस. हे महामंगलमयी पुण्यभूमे, तुझ्यासाठी माझा हा देह समर्पण होवो. मी तुला पुनःपुन्हा वंदन करतो. हे सर्व शक्तिमान परमेश्वरा, हिंदुराष्ट्राचे आम्ही पुत्र तुला सादर प्रणाम करतो. तुझ्याच कार्यासाठी आम्ही कटिबध्द झालो आहोत. त्या कार्याच्या पूर्ततेसाठी आम्हाला तू शुभाशीर्वाद दे. हे प्रभू, आम्हाला अशी शक्ती दे की, जिला आव्हान देण्याचे धैर्य जगातील अन्य कुणा शक्तीला व्हावयाचे नाही. असे शुध्द चारित्र्य दे की, ज्या चारित्र्यामुळे संपूर्ण विश्व नतमस्तक होईल आणि असे ज्ञान दे की, ज्यामुळे आम्ही स्वतः होऊन पत्करलेला हा काट्याकुट्यांनी भरलेला मार्ग सुगम होईल. उच्च असे आध्यात्मिक सुख आणि महानतम अशी ऐहिक समृध्दी प्राप्त करण्याचे एकमेव श्रेष्ठतम असे साधन असलेली उग्र अशी वीरव्रताची भावना आमच्यात सदैव उत्स्फूर्त होत राहो. तीव्र आणि अखंड अशी ध्येयनिष्ठा आमच्या अंतःकरणात सदैव जागती राहो. तुझ्या कृपेने आमची ही विजयशालिनी संघटीत कार्यशक्ती आमच्या धर्माचे संरक्षण करून या राष्ट्राला वैभवाच्या उच्चतम शिखरावर पोहोचविण्यास समर्थ होवो. ।। भारत माता की जय ।।

See also

References

  1. ^ Ramaseshan, Radhika (18 October 2009). "Khaki goes chic". The Telegraph. Retrieved 24 October 2010.
  2. ^ http://vskbharat.com/75-years-for-rss-prarthana-namaste-sada-vatsale-matrubhoome/?lang=en
  3. ^ Krant Archana 1992 Kimva Prakashan Noida 201301 India